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Showing posts from May, 2017

दलित मतलब क्या ? ( Who is Dalit ? )

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To whom we will call Dalit  कौन है , ”दलित” आज मेरे मन मे एक प्रश्न उठा कि आखिर मे ये “दलित” है क्या ? कोई धर्म है? , कोई सम्प्रदाय है? कोई जाति है? या फिर कोई वोट बैंक? जवाब अभी तक मिला नही / समाज का वह हिस्सा जिसे समाज मे उचित सम्मान न मिले / जो आर्थिक व सामाजिक रूप मे विकसित न हो/तथा जिन्हे अपने अधिकारो की जानकारी ही न हो /और जो अपने अधिकारो के लड भी न सके , अथार्त भारतीय समाज का वह हिस्सा जो आजादी के बाद भी आजाद न हुआ है /जो समाज की प्रताडना सह्ता आ रहा हो / उसे कहते है “दलित” लेकिन आज के समय मे शायद दलित की पूरी परिभाषा ही बदल गयी/ आज कल तो ये सिर्फ राजनीति का हिस्सा बनकर रह गया है इस दलित शब्द का समाज से कोई मतलब ही नही है / उदाहरण :- किसी पार्टी की कोई नेता जो उस पार्टी मे सबसे ऊँचे पद पर हो, और किसी राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हो / वो अपने आप को दलित कहती है / मै कैसे मान लू कि वो दलित है/ दलित कोई जन्म से नही होता है बल्कि जब समाज मे उसकी अवहेलना होती है उसे उसके अधिकारो से वंचित रखा जाता है उसे शारीरिक अथवा मानसिक रूप से प्रताडित किया जाता है और वो व्

Randeep Hooda Post on Social Media

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Recently ,Bollywood Actor Randeep Hooda posted a post on His Facebook wall Which is going To be viral seeing the current Scenario . His post on current Scenario is tight slap on Media & Social Media who Making News Like that All things in India Is Going to be destroyed . In His post He Wrote  "If you are Muslim and suddenly start feeling unsafe in country where you lived for more than thousand years..  If you are Dalit and start feeling insulted on every moment of life.. If you are Hindu and suddenly start feeling that cows are being slaughtered everywhere... If you are a Jain and suddenly start feeling that your religious piety is being compromised... If you are punjabi and think all the youth are on drugs. Just do one thing... - Stay away from social media... -  Don't watch news... -  Stay away from debates on      religion... Just look around you at your friends who belong to different castes , communities and religions... And you will

Relation of Teacher & His Students

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एक छोटे से शहर के प्राथमिक स्कूल में कक्षा 5 की शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको एक आंख नहीं भाता। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आजाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता। मिस के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता तो लग जाता..मगर उसकी खाली खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता.कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे.धीरे धीरे मिस को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मिस की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मिस उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं। राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था। मिस को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर मह

Daddy's Love For His Child

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We always Find post related to greatness of Mother.its obvious that There is no substitute for Mother But There seldom any write Poems,Story on contribution of father.If  Mother thought of any dream about her children then The Man who shape that dream is Recognised as Father . Contribution of father toward his Children can never be measured .we all should love our father. Best Video ever on Dad   Watch Here Dad A son's First Hero  and  A Daughter's First Love .

Respect Police Forces

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 बिना पुलिस के चल कर देखो   माना कि है पुलिस बुरी, पर बिना पुलिस के रहकर देखो। रोकेंगे हर राह दरिंदे,  बिना पुलिस के चलकर देखो।। कोई नहीं समय सीमा है, कोई नहीं ठिकाना है। जहाँ जहाँ भी पड़े जरूरत, वहां वहां भी जाना है।। दिन को ड्यूटी रात को पहरा, एक रात तो करकर देखो। बिना पुलिस के चलकर देखो।। इनका वेतन चपरासी सा, काम हमेशा करना है। गर्मी जाड़ा बारिश में भी, भाग भाग कर मरना है।। बिना पुलिस के चलकर देखो।। छुट्टी तक को तरस रहे हैं, अफसर के दरवाजे पर। पोस्टमार्टम इन्हें कराना, रहते रोज जनाज़े पर।। राजनीति के हथकण्डे से, कभी कभी तो बचकर देखो। बिना पुलिस के चलकर देखो।। ये भी लाल लाडले माँ के, इनके भी परिवार रहे। होली ईद दशहरा पर भी, इनके आंसू रोज बहे।। बात अगर हो लाख टके की, इनकी पीड़ा मिलकर देखो। बिना पुलिस के चलकर देखो I

History About Gorakhpur

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Origin Of Name The district   Gorakhpur takes its name and fame from renowned, ascetic 'Gorakshnath', who was an eminent profounder saint of 'Nath Sampradaya'. A famous shrine 'Gorakhnath' was built in his honour on the same spot where he practised austerities. History The ancient Gorakhpur, in addition to modern, comprised the districts of Basti, Deoria, Azamgarh and parts of Nepal tarai. These region, which may be called as Gorakhpur Janpad, had been an important centre of Aryan culture and civilization. Gorakhpur was a part of the famous kingdom of Koshal, one of sixteen mahajanpadas in 6th Century B.C. The earliest known monarch ruling over this region with his capital at Ayodhya was IKSVAKU, who founded the solar dynasty of Kshatriya. It produced a number of illustratious kings till the accession of Ram, who was the greatest ruler of this dynasty. Since then, it remained an integral part of the erstwhile empires of Maurya, Shunga, Kushana ,

चेतक की वीरता

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रणबीच चौकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था राणाप्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड जाता था राणा की पुतली फिरी नहीं तब तक चेतक मुड जाता था गिरता न कभी चेतक तन पर राणाप्रताप का कोड़ा था वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर वह आसमान का घोड़ा था था यहीं रहा अब यहाँ नहीं वह वहीं रहा था यहाँ नहीं थी जगह न कोई जहाँ नहीं किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं निर्भीक गया वह ढालों में सरपट दौडा करबालों में फँस गया शत्रु की चालों में बढते नद सा वह लहर गया फिर गया गया फिर ठहर गया बिकराल बज्रमय बादल सा अरि की सेना पर घहर गया। भाला गिर गया गिरा निशंग हय टापों से खन गया अंग बैरी समाज रह गया दंग घोड़े का ऐसा देख रंग ll Poem by -Shyam Narayan Pandey

Queen of Jhanshi

झाँसी की रानी सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार। महाराष्टर-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।। हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी मे