मीडिया के माध्यम से हथिनी पर भाजपा की ओछी राजनीति / Low politics over pregnant Elephant by BJP with Help of some selected Media
दरअसल इनको हथिनी या उसके बच्चे को लेकर कोई दुख नहीं है। इनके दुख का कारण केवल यह है कि यह घटना केरल में हुई है और केरल इनके लिए वह अंगूर है जो खट्टे हैं।
भगवा गिरोह के लिए केरल और पश्चिम बंगाल के साथ साथ उस हर राज्य की एक छोटी सी घटना मीडिया के सहारे बड़ा बनाने के लिए पर्याप्त है जहाँ उसकी सरकारें नहीं हैं। और जहाँ इनकी सरकारें हैं वहाँ की हर बड़ी से बड़ी घटना मीडिया और सभी सरकारी तंत्र बायकाट करके परिदृष्य से बाहर कर देती हैं।
दरअसल यह शुद्ध रूप से "राजनैतिक बिज्जू" है जिनका हर उद्देश केवल राजनैतिक लाभ और हानि पर आधारित होता है , बाकी किसी से इनको ना लगाव है ना संवेदना और ना दुख है।
हाथिनी को लेकर मेनका गाँधी से लेकर स्मृति ईरानी और प्रकाश जावेडकर केवल इसलिए मुखर हैं क्युँकि केरल कोविड-19 की लड़ाई जीतने वाला इस देश का पहला राज्य बन चुका है और उसने एक माॅडल प्रस्तुत किया कि शेष राज्य कोविड-19 से कैसे लड़ें।
इसी बीच हाथी की घटना केरल की मिलती वाहवाही को रोकने के लिए प्रयोग में लाई गयी , और फिर इसमें मुस्लिम बाहुल्य जिले का ऐंगल घुसेड़ कर इसे मुस्लिमो की करतूत बताकर सांप्रदायिक ऐंगल दिया गया और जब वह भी झूठी साबित हो गयी तो सभी मंत्री इसे लेकर राहुल गाँधी पर आक्रमण करने लगे। खुद राहुल गाँधी की सगी चाची मेनका गाँधी भी यह चरित्र दिखा गयीं कि इंदिरा गाँधी ने इनको क्युँ अपने घर से धक्का मार कर बाहर किया था।
दर असल "आपदा या दुर्घटना या घटना को राजनैतिक अवसर में बदलना " ही संघ और मोदी सरकार का एक मात्र खेल रहा है जिसे वह बहुत अच्छे ढंग से खेलती है और इसीलिए पश्चिम बंगाल या केरल की कोई घटना या दुर्घटना उसके लिए राजनैतिक अवसर बन जाती है।
यहाँ यह भी दिलचस्प है कि उससे विभत्स और कई गुनी बड़ी घटनाएँ भाजपा शासित राज्यों में होती है पर वह किसी के लिए "राजनैतिक अवसर" नहीं बन पाती हैं।
यही नहीं जिन बंदर को यह देवता मानते हैं उनको अपने ही शासित राज्य की 91 तहसीलों में मारने की इजाज़त तक दे देते हैं।
उत्तर प्रदेश की ही बात ले लीजिए , जिस भाजपा ने गाय को लेकर जीवन भर उग्र और आक्रामक राजनीति की है उन गायों की "गौशालाओं" में हालत और पिछले 3 साल में उनकी बदहाली का जायज़ा ले लीजिए तो आप केरल की इस हाथी को भूल जाएँगे।
तो इनके आपदा , घटना और दुर्घटना को अवसर में बदलने के इस खेल को समझिए , यह केवल और केवल राजनैतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।
गुजरात में ही कोरोना को लेकर फैली विभत्स महामारी पर आपने एक भी बयान किसी मंत्री , सांसद या विधायक या किसी एक टुटपुजिया नेता का भी सुना ? इनको महाराष्ट्र में तो राष्ट्रपति शासन चाहिए पर गुजरात में ? फर्जी वेंटीलेटर से लेकर तमाम वित्तीय गड़बड़ियाँ और कोरोना की तबाही वाली महामारी स्पष्ट दिख रही है पर इनको कोरोना से विफलता पश्चिम बंगाल में दिखती है।जो कि लगभग कोरोना को हरा चुका है , इसी लिए इनको "राजनैतिक बिज्जू" कहता हूँ जो कब्र में घुस कर लाशों को खाते हैं।राजनैतिक बिज्जू:-
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